सच गायब नहीं होता

सच गायब नहीं होता
       
बुघवार*स्ट्राइकर
आम राय है कि सच की तरह पत्रकारिता और न्याय का  कोई जाति,वर्णऔर मजहब नहीं होता है! हलांकि भारत में 90%से अधिक पत्रकार और न्यायघीश उच्च जाति/ वर्ण के ही है जिनमें ब्राम्हणों की संख्या सर्वाघिक है।झ्सलिए याद रखें, आप सच नहीं बताएंगे तो कोई और लिखने-दिखाने आयेगा! आप न्याय नहीं करेंगे तो इतिहास आपको अन्यायी के रूप में दर्ज करेगा! क्योंकि
सच गायब नहीं होता। दुनिया बोलती है तो उनको 'मिर्ची' लग जाती है! कुछ लोग, कुछ हलके, कुछ दल, कुछ संस्थान और कुछ तंजीमें आपकी मुट्ठी में आ सकती हैं, आपसे डरकर खामोश हो सकती हैं, पर पूरी दुनिया नहीं?दुनिया से कैसे छुपायेंगे सच?
*बुघवार बहुमाध्यम समुह